सोमवार, 15 सितंबर 2008

आत्ममुग्धता

आतंकवाद ज्यादा खतरा राजनेताओ की मानसिकता से होता जा रहा है। अब देखिये कि ग्रह मंत्री शिवराज पाटिल दिल्ली में हुए बम धमाको को दिवाली पर फोडे जाने वाले पटाखे से ज्यादा नै समझ रहे थे तभी ३ घंटे में ३ बार पोशाक बदलते रहे। ये बात किसी कीभी समझ से परे है कि किसी सम्पभु राष्ट्र का ग्रह मंत्री कैसे इतनी निर्लज्जता का प्रदर्शन कर सकता है। जन्हा उन्हें धमाको कि जानकारी एकत्रित करनी चाहिए थी वे गरीब देश कि जनता को अपने वस्त्र खजाने का प्रदर्शन करने से बाज नही आए । इसे संवेदनहीनता कि पराकास्था नही तो और क्या कहा जायगा। एक व्यक्ति जो आपने चुनाव श्चेत्र से भी जीत दर्ज न कर पाये उससे ५४५ श्चेत्र वाले राष्ट्र कि सुरस्क्चा का दायित्व क्यो दिया गया। उसका परिणाम सबके सामने है । उनको पड़ से हटा कर अपनी गर्दन बचने का प्रयास करने वालो को सामूहिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए । चार साल तक निर्दोष लोगो को मरवाते रहे अब चुनाव कि आहट आते ही उसे नाकारा और भ्रमित मंत्री सिद्ध करने लगे। बहुत सोचने और दिमाग के सरे घोडे दौडाने के बाद भी समझ में नही आ रहा कि कैसे हम अपने राष्ट्र को भयमुक्त और भ्रष्टाचार विहीन बना सकते है । फ़िर ख्याल आया कि पाटिल का मामला भ्रष्टाचार का नही है यंहा तो ग़लत तरीके से जीत हाशिल [ विश्वास मत ] करने वाली सरकार के एक आत्ममुग्ध मंत्री का है जो सोचता है कि मेरे पोशाक बदलने और सौम्य लहजे में बोलने से आतंकवादी इम्प्रेश होकर रास्ता बदल लेंगे तो ये उनकी भूल नही मानसिक बीमारी का परिचायक है।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

जो अपने चुनाव शेत्र की जनता का विश्वास तक नहीं जीत पाया उसे देश का ग्रह मंत्री बना दिया गया. इस से भयंकर अपमान इस देश की जनता का नहीं हो सकता. आज यह व्यक्ति चुटकुलों का एक पात्र बन चुका है. कांगेस और सरकार के गले में हड्डी की तरह अटक गया है, जिसे न उगला जा सकता है और न ही सटका जा सकता है. किसी और का कुछ नहीं जा रहा, बाद आम आदमी मारे जा रहे हैं इस अवांछित व्यक्तित्व के कारण.